Messages and greetings for your love, Your feelings for your friendship, Your emotions for your own people , Your complaints in your words, Your tears in sentences, And many more those you want to read or say.
Monday, December 31, 2018
Sunday, December 30, 2018
इन्सान का बच्चा
न वो हिन्दू का है
न मुसलमान का बच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।
मजहब नहीं जानता
जेहाद नहीं जानता,
दंगा नहीं जानता
फसाद नहीं जानता ।
कुछ भी कहे कोई
पर प्यार उसका सच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।
राम नहीं जानता
रहमान नहीं जानता,
रामायण नहीं जानता
कुरान नहीं जानता ।
तुम भी उसे पुचकारो
प्यार उसका सच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।
अल्लाह नहीं जानता
भगवान नहीं जानता,
इबादत नहीं जानता
पुराण नहीं जानता ।
हो किसी का भी वो
पर दीदार उसका अच्छा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।
कूटनीति से अनभिज्ञ है
राजनीति नहीं जानता,
दाँव-पेंच नहीं मालूम
शिष्टाचार भी नहीं जानता ।
जैसे ढा़लोगे वैसा ढ़लेगा
मिट्टी का घडा़ अभी कच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।
छल-कपट नहीं जाने वो
राग-द्वेष नहीं जानता,
मातृभूमि नहीं जानता
परदेश नहीं जानता ।
नफरत न सिखाना उसे
ह्रदयपटल शुभ्र-सच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।
CHILDS ARE INNOCENT.
Kash....
Thursday, December 27, 2018
Friday, December 21, 2018
Tuesday, December 18, 2018
Thursday, December 13, 2018
Wednesday, December 12, 2018
Tuesday, December 11, 2018
सिर्फ स्वयं के बारे में सोचना, स्वयं ही भोजन कर लेना, यह प्रकृती है। अपने साथ-साथ दूसरों के भी बारे में सोचना और स्वयं खाना और दूसरों को भी भोजन कराना, यह संस्कृती है ।
दूसरों का विचार न करते हुए , दूसरों का हिस्सा भी छीनकर खाना, यह विकृती है ।
हमें अपने साथ-साथ , समाज, देश और सारी मानव जाति के कल्याण के बारे में भी सोचना चाहिए और तन-मन-धन से अपनी तरफ से भी कुछ योगदान करना चाहिए ।
कवि ईश्वर से यह प्रार्थना कर रहा है कि ,हे प्रभु सबको खुशियाँ दे । वह दूसरों के दु:खों के प्रति भी संवेदनशील है और यह भी कहता है कि, भगवन् चाहो तो मेरे हिस्से की खुशियाँ कुछ कम कर दो पर जो लोग दीन-दु:खी हैं उनकी भी झोलियाँ खुशियों से भर दो ।

Just thinking about yourself, having food yourself, this is a common view.
It is a culture, thinking about yourself and others as well as eating food yourself and to serve others also.
Without taking into consideration others, it is maladaptive to take away the share of others.
We should also think about the welfare of our society, our nation and all mankind, and should also contribute something from our side with our mind and wealth.
The poet is praying to God that, O Lord, give happiness to all. He is also sensitive to the sorrows of others and also says that, if God wants to reduce the happiness of my part, do that but those who are afflicted, fill their life with happiness.
Tuesday, December 4, 2018
जो कामयाब हो जाते हैं दुनिया उन्हें ही सिर-आँखो पर बिठाती है, उनका अनुकरण करती है, उनकी वाह-वाही करती है। कल तक जो लोग उन्हें पहचानते तक नहीं थे ,वही लोग आज उनसे रिश्ते जोड़ने की कोशिश किया करते हैं और उनकी तारीफों के पुल बाँधने में कोई कसर नहीं छोड़ते । जो लोग उनका मनोबल तोड़ने में लगे रहते थे, आज वही उनका स्वागत करने में सबसे आगे आ जाते है ।
और वही शख्स यदि नाकाम हो जाय तो........
उसे अर्श से फर्श पर आने में देर नहीं लगती, सब कुछ बडी़ जल्दी से बदल जाता है। नाकामियों के चर्चे बडी़ तेजी से फैलते हैं। जिनकी हर तरफ चर्चा हुआ करती थी वही लोग गुमनामी में अंधेरों में गुम से हो जाते है ।
Those who succeed, the world places them on their heads, imitates them, they do their voices. By the time people who did not even recognize them till yesterday, those people try to connect with them today and they do not leave any stone unturned in their compliments. Those who used to break their morale, today they come forward to welcome him.
And if the same person fails then ... ..
It does not look too late to come on the floor, everything changes quickly. Discussions of failures spread rapidly. The same people who used to be discussed in all directions are lost in darkness in the oblivion.
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