Wednesday, November 28, 2018



रिश्तों को बनाने के लिए उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, जितनी मेहनत रिश्तों को निभाने के लिए करनी पड़ती है ।
रिश्तों में मिठास बनी रही इसके लिए त्याग भी करना पड़ता है।
कवि कहता है कि, हमें हमेशा अपनी ही बात मनवाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि सामनेवाले की भी बात माननी चाहिए । रिश्तों में दरार न आए इसके लिए एक-दूसरे पर भरोसा होना जरुरी है । हमें सामनेवाले की भावनाओं का भी आदर करना चाहिए । रिश्तों में प्रेम, पवित्रता, अपनापन, विश्वास और समर्पण यह सब बेहद जरूरी है और इसकी कोशिश दोनों तरफ से हो तो संबंध टिका करते है । संबंधों की डोरी संवेदनशील भी हुआ करती है , जरा सी बेरुखी रिश्तों में खटास पैदा कर सकती है।
कभी कभी हम किसी की कही गई बातों का गलत मतलब निकाल लेते है और फिर रिश्तों में दरार पैदा हो जाती है । इसलिए संवेदनशील कवि भावुक होकर कह रहा है कि अब हम खत को कोरा ही भेज दिया करते हैं, कुछ लिखने की हिम्मत नहीं होती । यह डर लगता है कि कहीं कभी मेरी लिखी बात का तुम गलत मतलब न निकाल लो ।





To make relationships, it does not have to work so hard, as hard work to do in relationships.

To maintain sweetness in relationships, sacrifice has to be done.

The poet says that, we should not always try to dictate our own point of view but should also consider the front. It is necessary to have faith in each other for not having a crack in relationships. We should also respect the feelings of the front. Love, purity, dedication, trust and dedication in relationships is all that is very important and if it is tried on both sides, then we will have relations. The ties of relationships are also sensitive, can cause soreness in a somewhat irreconcilable relationship.

Sometimes we take the wrong meanings of something said and then there is a rift in relationships. Therefore, the sensitive poet is passionately saying that now we send the letter only to blank, we do not have the courage to write anything. It is afraid that sometimes you do not misunderstand what I wrote.

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