कहाँ तक और किस-किसको सफाई देते फिरें ? सच्चे लोग, भोले लोग सबूत नहीं दे पाते । चालाक लोगो का काम है कि वो अपने आपको सही साबित करने के लिए ढे़र सारे सबूत पेश कर देते हैं, पर सीधे-साधे लोगों के पास अपने आपको सही साबित करन के लिए कोई सबूत नहीं मिल पाता । उनक स्वभाव, उनका व्यवहार, उनकी निश्छलता ही उनकी सच्चाई का सबूत होती है ।
कवि कहता है कि, मेरे पास खुद को सही साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं । जब अपने ही अपनों पर विश्वास न करें तो फिर खामोश रहना ही बेहतर । रिश्तों में, दोस्ती में, प्यार में यदि एक दूसरे पर विश्वास ही न रहें तो कितना भी सबूत क्यों न दो, ऐसे रिश्ते ज्यादा दिन नहीं टिका करते ।
कवि यह भी कहता है कि, जब मेरे अपने ही मुझपर ऊंगलियाँ उठाने लगे तब मैंने खामोश रहना ही बेहतर समझा , और इसके बावजूद यह विडबना देखिए , कि लोगों ने मुझे ही मुलजिम करार दे दिया ।
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