कुछ रिश्ते ऐसे भी हुआ करते हैं कि, उन रिश्तों को निभाने के लिए हम बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को भी तैयार रहते हैं।
उसके द्वारा मिले हुए दर्द में भी हम कोई शिकायत नहीं करते ।
यहाँ पर भी कवी भावनाओं के वशीभूत होकर कह रहा है कि," मुझे चोट तो बहुत दी है तुमने, पर फिर भी मैं तुम्हें दोष न दूँगा, मैं कभी किसी से तुमसे मिले दर्द की दास्तान बयां न करुँगा क्योंकि मेरे ही दिल की गुजारिश है मुझसे कि, मैं तुझे बदनाम ना करूँ। "
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