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Saturday, March 23, 2019

अब बस भी कर !



कुछ वे भी होते हैं , जो हमेशा दूसरों में कमियाँ ढू़ढ़ने में ही अपना समय व्यतीत करते हैं ।
कहते हैं न कि, मक्खी चाहे बगीचे में ही क्यूँ न जाए, लेकिन वहाँ भी वो फूलों पर नहीं बैठेगी, वहाँ भी वो गंदगी ढूढ़ लेगी और गंदगी पर ही बैठेगी ।
ऐसे ही कुछ लोगों को सिर्फ अपने आप में ही अच्छाई नजर आती है, बाकी सब में वो कुछ न कुछ कमी निकालते ही रहते हैं । कवि कहता है कि, अब बस भी करो दूसरो पर दोषारोपण करना । यदि तुम्हारी नजर में सब बुरे हैं तो तुम तो अच्छे बने रहो ।

Monday, November 26, 2018



वक्त - वक्त की बात है ।
वक्त ही तो बादशाह है ।
समय के आगे किसी का वश नहीं चलता । कवि कहता है कि अच्छा वक्त रहने पर आप किसी चीज का अहंकार न करें ।
वक्त बदलते देर नहीं लगती । और ये दुनिया ऐसी है कि जब तक आपका वक्त ठीक चल रहा है, आपके पास धन - संपत्ति है, पद - प्रतिष्ठा है, आपसे लोगों का कोई स्वार्थ सधता है, तब तक आपको मान - सम्मान मिलता रहेगा । लोगों की, अपनों की असली परीक्ष। तो तब होती है जब आपका बुरा वक्त चल रहा हो । उस समय जो साथ दे वही तो सगा है ।

Friday, November 23, 2018


हौंसला न हार,
जिद न छोड़,
बाधाओं को पार कर,
हवाओं के रुख को मोड़ ।

कवि कहता है कि हमें अपना हौंसला नहीं खोना चाहिए । विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखकर आगे बढ़ते रहना चाहिए । हवाओं का रुख भी यदि हमारे अनुकूल न हो त भी आगे बढ़ने की जिद मन में रखकर कर्तव्यरत रहना चाहिए ।
नदी को देखो, अपने उद्गम स्थान से निकलने के बाद उसकी राह में अनगिनत बाधाएँ, रुकावटें आया करती हैं , लेकिन वह सरिता चट् टानों के बीच में से भी रास्ता निकालते हुए , सभी बाधाओं को पार करती जाती है । उसे किसी के बंधन में बँधना मंजूर नहीं । वह स्वच्छंद रहना चाहती है । इठलाती, बलखाती हुई वह अपने गंतव्य की ओर सदा अग्रसर रहती है । उसकी यह कोशिश और अपने प्रियतम सागर से मिलने की जिद्द को देखकर खुदा भी मुस्कुराये बिना नहीं रह पाता होगा ।



Do not lose hands,

Do not be stubborn,

Crossing the obstacles,

Turn the wind direction


The poet says that we should not lose our pride. In adversity, perseverance should continue as well. Even if we do not have the stance of winds, we should remain diligent in keeping our heart stubbornness in mind.

Look at the river, after departing from its place of origin, there are many obstacles in her path, but River crosses all the obstacles, taking out the path between the clutches. Do not approve of binding her in anybody's binding. She wants to be free. He is always going forward towards his destination. By looking at this effort and the stubbornness of meeting with her beloved Ocean, God also can not live without smiling.

Thursday, November 22, 2018



आशाओं के दीप जलाए रखिए । समय बदलते देर नहीं लगती । हमेशा एक जैसा ही समय नहीं रहता । जीवन के इस सफर में सुख-दुख, हानि-लाभ, मान-सम्मान, यश-अपयश, मिलन-विछोह, उतार-चढा़व तो आते ही रहते है । इन सबसे हम सबको रूबरू तो होना ही पडे़गा । जब तक अंधेरे में न जाओगे तब तक उजाले का महत्व कैसे पता चलेगा ?
कहा गया है कि, ये जीवन है इस जीवन के कई रंग-रूप है ।
कवि कहता है कि, कभी कभी हम निराश हो जाते हैं, परिस्थितियाँ हमारे अनुकूल नहीं रहती । कोई रास्ता नजर नहीं आता । ऐसा लगता है कि बुरा वक्त हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा । ऐसे समय में हिम्मत न हारिए , आशाओं के दीप जलाए रखिए, कर्म करते रहिए । इक न इक दिन आपकी मेहनत रंग लाएगी और आपके जीवन में फिर से खुशियों का आगमन होगा ।

Keep the lights on the hopes alive. Time does not seem to change. There is not always the same time In this journey of life, happiness and misery, loss-benefit, honor, dishonor, success, failure, dissolution, fluctuations continue to come. All of them will have to be all of us. How long will you know the importance of the light until you go into darkness?

It has been said that this is life, there are many colors in this life.

The poet says that, sometimes we get frustrated, the circumstances are not favorable for us. There is no way. It seems that bad times do not leave us behind. Do not lose your courage, keep the lights of hope alive, keep on doing your work. This day will bring your hard work and your life will be happy again.

Friday, November 16, 2018


मन के हारे हार है, मन के जीते जीत ।
बहुत बार ऐसा होता है कि, सफलता की आशा होने के बावजूद भी हमें असफलता हाथ लगती है । कभी कभी तो मानो असफलताओं का मानो दौर सा चल पड़ता है, लगातार असफलता ।
आज के युग में कुछ लोग अपनी चालाकी के बल पर, धूर्तता के बल पर, चाटुकारिता के बल पर इस प्रकार के गलत तरीकों से आगे बढ़ जातें हैं। अयोग्य व्यक्ति योग्य व्यक्तियों को पीछे छोड़ जाता है ।
कवि सीधा-साधा , चालाकी के तौर-तरीकों से अनभिज्ञ इन्सान है । वह कह रहा है कि, यह माना कि आप हर बाजी मुझसे जीत जाते हो, पर जंग जारी रखिये क्योंकि मैंने अभी हार नहीं मानी है । मेरा शरीर भले ही थक जाए पर मुझमें अभी भी जोश और होश कायम है । तुम भले ही कितनी भी चालें चल लो पर मुझे पराजित न कर पाओगे ।

Sunday, November 11, 2018


कहाँ तक और किस-किसको सफाई देते फिरें ? सच्चे लोग, भोले लोग सबूत नहीं दे पाते । चालाक लोगो का काम है कि वो अपने आपको सही साबित करने के लिए ढे़र सारे सबूत पेश कर देते हैं, पर सीधे-साधे लोगों के पास अपने आपको सही साबित करन के लिए कोई सबूत नहीं मिल पाता । उनक स्वभाव, उनका व्यवहार, उनकी निश्छलता ही उनकी सच्चाई का सबूत होती है ।
कवि कहता है कि, मेरे पास खुद को सही साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं । जब अपने ही अपनों पर विश्वास न करें तो फिर खामोश रहना ही बेहतर । रिश्तों में, दोस्ती में, प्यार में यदि एक दूसरे पर विश्वास ही न रहें तो कितना भी सबूत क्यों न दो, ऐसे रिश्ते ज्यादा दिन नहीं टिका करते ।
कवि यह भी कहता है कि, जब मेरे अपने ही मुझपर ऊंगलियाँ उठाने लगे तब मैंने खामोश रहना ही बेहतर समझा , और इसके बावजूद यह विडबना देखिए , कि लोगों ने मुझे ही मुलजिम करार दे दिया ।

Monday, October 29, 2018


हर कोई दूसरों को बदलना चाहता है। हम स्वयं को बदलने को तैयार नहीं। हम चाहते हैं कि हम जैसा चाहते हैं वैसा ही हो, पर अक्सर वैसा नहीं होता।
कवि कहता है कि, मैं अपने उसूलों को साथ लेकर चलता रहा। बहुत बार ठोकरें भी खाई, पर संभल कर अपनी राह पर चलता रहा। कभी किसी से शिकायत नहीं की और चोट खाकर कभी उफ़ भी नहीं की । हर किसी के हिसाब से अपने आपको मैं बदलता रहा पर अपने सिद्धांतों पर मैं कायम रहा ।




Everyone wants to change others. We are not ready to change ourselves. We want to be exactly what we want, but always it doesn't happens.

The poet says that, I continued to carry my principles together. Many times i stumbled, but i kept on steadfastly. I never complained to anyone and never got hurt due to injury. According to everyone, I kept changing myself but I remained on my principles.

Saturday, October 27, 2018


शक एक ऐसी बीमारी है जिसकी कोई दवा नहीं । पुराने, प्रगाढ़ और करीबी रिश्तों में भी शक दरार डाल देता है । अपने भी पराये नजर आने लगते हैं। न जाने कितने परिवार केवल शक की वजह से बिखर जाते हैं । जिनके लिए हम जान तक देने की बात करते थे, अब उन्हीं के प्रति नफरत की भावना पैदा हो जाती है ।
कवि कहता है कि, बेदाग चेहरों में भी, जिनकी तारीफ करते कभी हम थकते नहीं थे, जिन्हें हम कभी अपना आदर्श मानते थे, उनमें भी अब हमें दाग नजर आने लगे, बुराईयाँ नजर आने लगी । कवि कहता है कि, ये शक की धुंध भी बडी़ अजीब है, इसने अपनों से अपनों को पराया कर दिया ।
इसके बावजूद भी कवि को ये आशा है कि, कभी तो यह धुंध छटेगी, और फिर अपनों से फिर मुलाकात होगी ।



Doubt is a disease which has no medicine. Even in old, intimate and close relationships, suspicion puts crack. Do not know how many families get scattered because of doubt only.

The poet says , To whom we considered as our ideal, now the stains are visible to us in them, the evils begin to appear in them . The poet says that, the mist of doubt is also very strange, it creates difference among us.

In spite of this, the poet hopes that, after sometime he will get rid of this mist, and then again he will meet their own friends.

Saturday, October 6, 2018



आज के इस युग में अपनों के पास अपनों के लिए ही समय नहीं है । पहले चिठ्ठी-पत्रों द्वारा, संदेश वाहकों द्वारा, कबूतरों द्वारा तक संदेश पहुँचाये जाते थे । लोग डाकिए की बडी़ आतुरता से बाट जोहते रहते थे । " पाती आई है " कितना सुन्दर कर्णप्रिय शब्द लगता है न दोस्तों !
फिर समय के साथ-साथ टेलीग्राम, टेलीफोन, और अब मोबाइल । फिर लोग फोन पर बात कर लिया करते थे । अब SMS, Whatsap, facebook, messenger, twitter और भी बहुत कुछ आ गया । दुनिया मानो सिकुड़ सी गई ।
दूरियाँ तो कम हो गई दोस्तों ,पर दिलों के बीच का फासला बढ़ सा गया । एक ही परिवार में रहने वाले लोग भी कई-कई दिनों तक इक -दूसरे से बात नहीं कर पाते ।
अब इसे समय का अभाव कहें या, विज्ञ।न की प्रगति या संवेदन शून्यता ? आप ही तय करें ।
फिर भी अभी भी भावनात्मक रूप से जुडा़व रखने वाले लोग हैं ।
इस संदेश में कवि कहता है कि, भले ही नियमित रूप से मैं आपको शुभप्रभात, शुभरात्री, शुभकामनाएँ .....ये सब संदेश नहीं भेज पाता पर इतनी बात सत्य है कि मैं तुम्हें रोज कुछ पल के लिए ही सही पर दिल से याद करता हूँ ।

Thursday, October 4, 2018


ना जाने क्यों कुछ लोग छोटी सी बात का भी बुरा मान जाते हैं , और फिर आखिर तक उसी बात को याद रखते हैं । नफरत का बीज ऐसा होता है कि वह बिना किसी खाद-पानी के दिन-ब-दिन बढ़ता जाता है ।
कवि कहता है कि, न जाने लोग दिल में ईर्ष्या-द्वेष, नफरतों को सजोंकर रखते हैं। हमें तो इस प्यारी दुनिया में प्यार के सिवा कुछ नजर ही नहीं आता ।

Do not know why some people even think of small things as bad, and then remember the same thing till the end. The seed of hatred happens like this that it grows without any composting day or night.

The poet says that people who do not know, keep heart-hatred, hatred in their hearts. We do not see anything except love in this beloved world.

Tuesday, October 2, 2018





कहा गया है कि ,खुद के लिए जिए तो क्या जिए ?
आज हर कोई अपने  स्वार्थ के लिए दूसरों का नुकसान करने से भी नहीं चूकते । बदला लेने की भावना, दूसरों को सबक सिखाने के लिए लोग किसी भी स्तर तक गिर जाते हैं । हमें सामने वाले को झुकाने के लिए काम नहीं करना चाहिए बल्कि जो दीन-दुखी हैं, समाज का कमजोर वर्ग है उन्हें उठाने में सहयोग करना चाहिए ।

Monday, October 1, 2018


अपना दर्द, अपना गम छुपाये रखिये ।
रहीम जी कहतें हैं -- रहिमन निज मन की व्यथा, धाय न कहिए कोय,     हँसी उडै़हैं लोग सब, बाँटि न लैहे कोय ।
जिन जमानेंवालों की वजह से दुःख मिलता है उन्हें सुनाकर क्या फायदा ?

Grief too now
Twisting, hiding
I'll keep pressing -

I fear -

Like pleasure too
Do not snatch anything from me



Friday, September 28, 2018

     
            न बैठो यूँ गुमसुम तुम

Sunday, September 16, 2018


जब अपने ही अपनों को गिराने में लगे हो
तब किससे और क्या शिकायत करें ? चुप रहना
ही बेहतर है ।

Thursday, September 13, 2018


दु:ख को भी अब
ढ़ककर, छुपाकर
दबाकर रखता हूँ मैं -

डरता हूँ -
सुख की तरह उसे भी
कहीं कोई छीन ना ले मुझसे ।

                                Kash

Grief too now

Twisting, hiding

I'll keep pressing -


I fear -

Like pleasure too

Do not snatch anything from me