Monday, October 29, 2018


हर कोई दूसरों को बदलना चाहता है। हम स्वयं को बदलने को तैयार नहीं। हम चाहते हैं कि हम जैसा चाहते हैं वैसा ही हो, पर अक्सर वैसा नहीं होता।
कवि कहता है कि, मैं अपने उसूलों को साथ लेकर चलता रहा। बहुत बार ठोकरें भी खाई, पर संभल कर अपनी राह पर चलता रहा। कभी किसी से शिकायत नहीं की और चोट खाकर कभी उफ़ भी नहीं की । हर किसी के हिसाब से अपने आपको मैं बदलता रहा पर अपने सिद्धांतों पर मैं कायम रहा ।




Everyone wants to change others. We are not ready to change ourselves. We want to be exactly what we want, but always it doesn't happens.

The poet says that, I continued to carry my principles together. Many times i stumbled, but i kept on steadfastly. I never complained to anyone and never got hurt due to injury. According to everyone, I kept changing myself but I remained on my principles.

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