Sunday, October 21, 2018


इस दुनिया में कोई कभी नहीं चाहता कि कोई उससे आगे बढ़ जाए । हर कोई अपने आपको सबसे आगे देखना चाहते हैं ।
सिर्फ पिता का रिश्ता ही एक ऐसा रिश्ता है जो सबसे अलग है । हर पिता चाहता है कि उसके बच्चे उससे भी आगे बढे़ । वे और प्रगति करें । पिता वह होता है जो बिना कुछ कहे अपने बच्चों की खुशी के लिए, उनके भविष्य को बेहतर बनाने हेतु अपना वर्तमान खर्च करता जाता है ।
माँ-पिता अपने आपको खपा देते हैं बच्चों की खुशी के लिए । माँ-पिता भले ही अनपढ़ हों लेकिन वे अपने बच्चों को पढा़-लिखाकर योग्य बनाने की कोशिश करते हैं। एक माँ-बाप अकेले ही दो-चार बच्चों का पालन-पोषण करते हैं, लेकिन कालातंर में वही बच्चें मिलकर भी माता-पिता को नहीं संभालते । जिन माता-पिता ने बचपन में उन्हें बोलना सिखाया,  बुढा़पे में उन्हीं माता-पिता को बच्चे चुप रहने की नसीहत देते हैं ।
इसके बावजूद भी माँ-बाप कभी बच्चों से शिकयत नहीं करते । उनके हृदय से बच्चों के लिए सदा आशीर्वाद ही निकला करता है।
यहाँ पर कवि कहता है कि, तू मेरी आँखों में देखकर मेरी बातों को, मेरे दर्द को पढ़ ले, अब मैं जुबां से कह सकूं इतनी ताकत नहीं रही ।



Nobody in this world ever wants anyone to move forward from him. Everyone wants to see themselves at the forefront.

Only father's relationship is such a relationship which is the most different. Every father wants his children to go even further. They make more progress. Father is someone who, without saying something for the happiness of his children, spends his current expenditure on improving childrens future.

Parents give their attention to the happiness of children. Parents, though illiterate, try to make their children educated. One parent takes care of two or four children, but in old age the same children do not manage their parents together. Parents who taught them to speak in their childhood, in old age children  teach their parents to be silent.

Despite this, parents never hate children. Their heart turns out to be a blessing for children.

Here the poet says that seeing in my eyes, read my pain, now I can not say anything.

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