आज के इस युग में अपनों के पास अपनों के लिए ही समय नहीं है । पहले चिठ्ठी-पत्रों द्वारा, संदेश वाहकों द्वारा, कबूतरों द्वारा तक संदेश पहुँचाये जाते थे । लोग डाकिए की बडी़ आतुरता से बाट जोहते रहते थे । " पाती आई है " कितना सुन्दर कर्णप्रिय शब्द लगता है न दोस्तों !
फिर समय के साथ-साथ टेलीग्राम, टेलीफोन, और अब मोबाइल । फिर लोग फोन पर बात कर लिया करते थे । अब SMS, Whatsap, facebook, messenger, twitter और भी बहुत कुछ आ गया । दुनिया मानो सिकुड़ सी गई ।
दूरियाँ तो कम हो गई दोस्तों ,पर दिलों के बीच का फासला बढ़ सा गया । एक ही परिवार में रहने वाले लोग भी कई-कई दिनों तक इक -दूसरे से बात नहीं कर पाते ।
अब इसे समय का अभाव कहें या, विज्ञ।न की प्रगति या संवेदन शून्यता ? आप ही तय करें ।
फिर भी अभी भी भावनात्मक रूप से जुडा़व रखने वाले लोग हैं ।
इस संदेश में कवि कहता है कि, भले ही नियमित रूप से मैं आपको शुभप्रभात, शुभरात्री, शुभकामनाएँ .....ये सब संदेश नहीं भेज पाता पर इतनी बात सत्य है कि मैं तुम्हें रोज कुछ पल के लिए ही सही पर दिल से याद करता हूँ ।
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