Friday, November 16, 2018


मन के हारे हार है, मन के जीते जीत ।
बहुत बार ऐसा होता है कि, सफलता की आशा होने के बावजूद भी हमें असफलता हाथ लगती है । कभी कभी तो मानो असफलताओं का मानो दौर सा चल पड़ता है, लगातार असफलता ।
आज के युग में कुछ लोग अपनी चालाकी के बल पर, धूर्तता के बल पर, चाटुकारिता के बल पर इस प्रकार के गलत तरीकों से आगे बढ़ जातें हैं। अयोग्य व्यक्ति योग्य व्यक्तियों को पीछे छोड़ जाता है ।
कवि सीधा-साधा , चालाकी के तौर-तरीकों से अनभिज्ञ इन्सान है । वह कह रहा है कि, यह माना कि आप हर बाजी मुझसे जीत जाते हो, पर जंग जारी रखिये क्योंकि मैंने अभी हार नहीं मानी है । मेरा शरीर भले ही थक जाए पर मुझमें अभी भी जोश और होश कायम है । तुम भले ही कितनी भी चालें चल लो पर मुझे पराजित न कर पाओगे ।

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