Friday, November 23, 2018


हौंसला न हार,
जिद न छोड़,
बाधाओं को पार कर,
हवाओं के रुख को मोड़ ।

कवि कहता है कि हमें अपना हौंसला नहीं खोना चाहिए । विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखकर आगे बढ़ते रहना चाहिए । हवाओं का रुख भी यदि हमारे अनुकूल न हो त भी आगे बढ़ने की जिद मन में रखकर कर्तव्यरत रहना चाहिए ।
नदी को देखो, अपने उद्गम स्थान से निकलने के बाद उसकी राह में अनगिनत बाधाएँ, रुकावटें आया करती हैं , लेकिन वह सरिता चट् टानों के बीच में से भी रास्ता निकालते हुए , सभी बाधाओं को पार करती जाती है । उसे किसी के बंधन में बँधना मंजूर नहीं । वह स्वच्छंद रहना चाहती है । इठलाती, बलखाती हुई वह अपने गंतव्य की ओर सदा अग्रसर रहती है । उसकी यह कोशिश और अपने प्रियतम सागर से मिलने की जिद्द को देखकर खुदा भी मुस्कुराये बिना नहीं रह पाता होगा ।



Do not lose hands,

Do not be stubborn,

Crossing the obstacles,

Turn the wind direction


The poet says that we should not lose our pride. In adversity, perseverance should continue as well. Even if we do not have the stance of winds, we should remain diligent in keeping our heart stubbornness in mind.

Look at the river, after departing from its place of origin, there are many obstacles in her path, but River crosses all the obstacles, taking out the path between the clutches. Do not approve of binding her in anybody's binding. She wants to be free. He is always going forward towards his destination. By looking at this effort and the stubbornness of meeting with her beloved Ocean, God also can not live without smiling.

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