मैं खामोश हूँ तो मुझे मुजरिम न समझ -
प्यार में हम अपने दोस्त की मर्जी को ज्यादा अहमियत देते हैं ।
कभी कभी अपनी गल्ती न होते हुए भी दोस्त की खुशी के लिए
हम अपनी गल्ती मान लेते है ।
कहा गया है न कि -- जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे,
तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे ।
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