Friday, September 28, 2018



मैं खामोश हूँ तो मुझे मुजरिम न समझ -

प्यार  में हम अपने दोस्त की मर्जी को ज्यादा अहमियत देते हैं ।
कभी कभी अपनी गल्ती न होते हुए भी दोस्त की खुशी के लिए
हम अपनी गल्ती मान लेते है ।

कहा गया है न कि -- जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे,
तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे ।

No comments: