Monday, February 11, 2019

हमदर्द


यहाँ कौन किसी की सुनता है यार ? सब अपनी ही सुनाने में लगे हैं । दूसरों का दर्द बांटनेवाले कम ही मिला करते है । सभी अपने आप में ही मशगूल हैं ।
कवि कहता है कि, कभी कभी हम किसी बात से निराश होकर, परेशान होकर, दु:खी हो जाते हैं । हमें अकेलापन महसूस होने लगता है, तब हमें लगता है कि, कोई अपना ऐसा मिले, जिससे बातें करके मन हल्का हो, कोई हमें सांत्वना दे, हम उसके साथ अपनी भावनायें शेयर कर सकें । पर अक्सर ऐसा होता है कि, जिसे अपना समझकर हम उससे सहानुभूति की उम्मीद करते हैं, वह अपने आप में ही इतना व्यस्त रहता है कि, उसके पास हमारे लिए समय नहीं रहता ।

Who listens to someone here? All are engaged in reciting their own. The painkillers of others are less.
The poet says that, sometimes we become distraught, frustrated by some thing, disturbed. When we feel lonely, then we feel that someone should get our own, by which talking is light, someone can give us comfort, we can share our feelings with him. But it often happens that, as we consider ourselves to be sympathetic to him, he is so busy in himself that he has no time for us.

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