Monday, January 28, 2019

अश्क भी बोलते हैं


प्रेम किसी भाषा और जुबां का मोहताज नहीं होता ।

दुनिया में अनगिनत भाषाएँ हैं जो संवाद का माध्यम हुआ करती हैं । पर कभी-कभी ऐसे भी हालात हुआ करते हैं कि हम जुबां से अपनी भावनाएँ व्यक्त नहीं कर पाते ।

कवि कहता है कि, आँखों की भी अपनी एक भाषा होती है । आँखों से निकले आँसू भी बहुत कुछ कह जाते हैं । बस ! जरुरत है तो उन्हें समझने की क्षमता हमारे भीतर होनी चाहिए । कभी-कभी छोटे बच्चे जो बोलना नहीं जानते, उनकी आँखे, उनके हाव-भाव बहुत कुछ कह जाते हैं, जिन्हें उनकी माँ समझ जाती है ।

Thursday, January 24, 2019

तुम्हारी खामोशी


इन्कार करने से बेहतर था कि
वो इकरार ही नहीं करते ,

हम इजहार करते रहे बार-बार
अब जाकर पता चला कि,
              वो हमें प्यार नहीं करते ।

कवि कहता है कि, हमनें तो बहुत बार उनसे अपने प्यार का इजहार किया पर वे हमेशा खामोश रहे । धीरे-धीरे हमें भी ऐसा लगने लगा कि, उनके दिल में हमारे लिए भी इक विशेष जगह है । बस इसी बात को अपने जेहन में रखकर हम उनकी तरफ झुकते चले गए । उन्हीं को लेकर सपनें संजोने लगे ।
                     और अब जाकर उन्होंने कहा कि, उन्हें हमारे प्रति कोई विशेष फीलिंग्स नहीं है ।

Wednesday, January 23, 2019

मतलब


तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में लिखा है कि,

सुर,नर, मुनि  सबकी यह रीती,
स्वारथ लागि  करहि सब प्रीती ।

जब भी आपसे किसी का कोई स्वार्थ सधता होगा तब सब आपके पास आयेगे । जब तक आप दूसरों के लिए उपयोगी हो तब तक आप लोगों से घिरे रहोगे, जैसे ही आप निरुपयोगी साबित होने लगेंगे, धीरे-धीरे सब आपका साथ छोड़ने लगेंगे । यह आज के युग में बहुधा दिखाई दे रहा है ।
 हमें इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए । कवि कहता है कि यह "मतलब " भी बडे़ "मतलब" की चीज है, मतलब निकल जाने पर लोग अपनों को भी नहीं पहचानते ।

Thursday, January 17, 2019

हकीकत और ख्वाब



हम सपनें तो बहुत देखते हैं, पर सारे सपनें हमारे सच नहीं हुआ करते । इसमें निराश होने की कोई बात नहीं । हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए ।

Monday, January 14, 2019

आँसुओं की वजह



अपनों से मिला दुखः व्यक्त करना सबके बस की बात नहीं। मनुष्य हमेशा अपनों के बीच घिरा रहना पसंद करता है।
अपनों से सम्मान की चाहत हर किसी को रहती है । नाते-रिश्तों और  मोह के पाश में बंधा हुआ मनुष्य अपनी थोड़ी सी भी अवहेलना सह नहीं पाता। अपनों से मिली छोटी सी भी चोट उसके लिए नासूर बन जाती है।
यहाँ पर भी कवी अपना दुखः प्रकट करते हुए कह रहा है कि उसके दुखः की वजह, उसकी आँखों में आए हुए आँसुओं के कारणीभूत भी उसके अपने ही लोग हैं जो कभी कहा करते थे कि, "तुम रोते हुए अच्छे नहीं लगते " ।

किसी के आँसू पोछें


Sunday, January 6, 2019

बस ,, संग तुम रहो



यह जरूरी नहीं कि हर रिश्ते स्वार्थ की नींव पर ही खड़े हों।
कुछ रिश्ते बेनाम, अनमोल, अनकहे, अव्यक्त और निस्वार्थ भी हुआ करते हैं।
कवी कह रहा है कि, " हम और तुम दोनो अबोल हैं,  अगर तुम कुछ कहो तो मैं भी कुछ कह सकूँगा।
कवी कहता है कि,  मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए,  मेरी कोई ख्वाहिश नहीं है, बस ! तुम साथ भी रहते हो तो बहुत अच्छा लगता है ।"

Friday, January 4, 2019

अपनों ने ही


आदमी अपनों से ही हारता है । परायों से ज्यादा उसे अपनों से ज्यादा चिंता रहती है। कहतें हैं न, कि दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम कर दिया ।
हम अपनों को अपना समझकर उनसे अपनी भावनाएँ, अपने मन की बात कह देते हैं , और उनमें से कुछ ऐसे होते है कि जो समय आने पर आपकी कमजोरियाँ दूसरों के सामने उजागर करने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते ।