Wednesday, January 23, 2019

मतलब


तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में लिखा है कि,

सुर,नर, मुनि  सबकी यह रीती,
स्वारथ लागि  करहि सब प्रीती ।

जब भी आपसे किसी का कोई स्वार्थ सधता होगा तब सब आपके पास आयेगे । जब तक आप दूसरों के लिए उपयोगी हो तब तक आप लोगों से घिरे रहोगे, जैसे ही आप निरुपयोगी साबित होने लगेंगे, धीरे-धीरे सब आपका साथ छोड़ने लगेंगे । यह आज के युग में बहुधा दिखाई दे रहा है ।
 हमें इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए । कवि कहता है कि यह "मतलब " भी बडे़ "मतलब" की चीज है, मतलब निकल जाने पर लोग अपनों को भी नहीं पहचानते ।

No comments: