Saturday, March 23, 2019

अब बस भी कर !



कुछ वे भी होते हैं , जो हमेशा दूसरों में कमियाँ ढू़ढ़ने में ही अपना समय व्यतीत करते हैं ।
कहते हैं न कि, मक्खी चाहे बगीचे में ही क्यूँ न जाए, लेकिन वहाँ भी वो फूलों पर नहीं बैठेगी, वहाँ भी वो गंदगी ढूढ़ लेगी और गंदगी पर ही बैठेगी ।
ऐसे ही कुछ लोगों को सिर्फ अपने आप में ही अच्छाई नजर आती है, बाकी सब में वो कुछ न कुछ कमी निकालते ही रहते हैं । कवि कहता है कि, अब बस भी करो दूसरो पर दोषारोपण करना । यदि तुम्हारी नजर में सब बुरे हैं तो तुम तो अच्छे बने रहो ।

Monday, February 11, 2019

हमदर्द


यहाँ कौन किसी की सुनता है यार ? सब अपनी ही सुनाने में लगे हैं । दूसरों का दर्द बांटनेवाले कम ही मिला करते है । सभी अपने आप में ही मशगूल हैं ।
कवि कहता है कि, कभी कभी हम किसी बात से निराश होकर, परेशान होकर, दु:खी हो जाते हैं । हमें अकेलापन महसूस होने लगता है, तब हमें लगता है कि, कोई अपना ऐसा मिले, जिससे बातें करके मन हल्का हो, कोई हमें सांत्वना दे, हम उसके साथ अपनी भावनायें शेयर कर सकें । पर अक्सर ऐसा होता है कि, जिसे अपना समझकर हम उससे सहानुभूति की उम्मीद करते हैं, वह अपने आप में ही इतना व्यस्त रहता है कि, उसके पास हमारे लिए समय नहीं रहता ।

Who listens to someone here? All are engaged in reciting their own. The painkillers of others are less.
The poet says that, sometimes we become distraught, frustrated by some thing, disturbed. When we feel lonely, then we feel that someone should get our own, by which talking is light, someone can give us comfort, we can share our feelings with him. But it often happens that, as we consider ourselves to be sympathetic to him, he is so busy in himself that he has no time for us.

Friday, February 8, 2019

मुझे कहाँ शौक था ?


ये झुकी झुकी निगाहें


तुमसे मिलते ही ---


कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनसे मिलकर खुशी मिलती है । हर किसी की जिन्दगी में कोई न कोई ऐसा जरुर होता है जो उसके लिए बहुत खास होता है ।

कवि कहता है कि, तुमसे मिलते ही मेरे चेहरे पर रौनक आ जाती है, मन प्रसन्न हो जाता है, इक खुशी सी महसूस होने लगती है । तुमसे मिलते ही मानो जीवन में इक उमंग सी आ जाती है, वातावरण भी प्रफुल्लित सा हो जाता है । कवि कहता है कि, ना जाने किस किस्म की ताजगी हो तुम कि तुमसे मिलते ही सबकुछ बडा़ सुहावना सा लगने लगता है ।

Some people are also happy to meet them. There is a need in someone's life that is very special for him.

The poet says that, when you meet me, my heart goes crazy, my heart is pleased, I feel happy. As soon as you meet me, there is a lot of excitement in life, and the atmosphere becomes very cheerful. The poet says that, not knowing what kind of freshness you are, i find that everything starts appealing as you meet.

Monday, January 28, 2019

अश्क भी बोलते हैं


प्रेम किसी भाषा और जुबां का मोहताज नहीं होता ।

दुनिया में अनगिनत भाषाएँ हैं जो संवाद का माध्यम हुआ करती हैं । पर कभी-कभी ऐसे भी हालात हुआ करते हैं कि हम जुबां से अपनी भावनाएँ व्यक्त नहीं कर पाते ।

कवि कहता है कि, आँखों की भी अपनी एक भाषा होती है । आँखों से निकले आँसू भी बहुत कुछ कह जाते हैं । बस ! जरुरत है तो उन्हें समझने की क्षमता हमारे भीतर होनी चाहिए । कभी-कभी छोटे बच्चे जो बोलना नहीं जानते, उनकी आँखे, उनके हाव-भाव बहुत कुछ कह जाते हैं, जिन्हें उनकी माँ समझ जाती है ।

Thursday, January 24, 2019

तुम्हारी खामोशी


इन्कार करने से बेहतर था कि
वो इकरार ही नहीं करते ,

हम इजहार करते रहे बार-बार
अब जाकर पता चला कि,
              वो हमें प्यार नहीं करते ।

कवि कहता है कि, हमनें तो बहुत बार उनसे अपने प्यार का इजहार किया पर वे हमेशा खामोश रहे । धीरे-धीरे हमें भी ऐसा लगने लगा कि, उनके दिल में हमारे लिए भी इक विशेष जगह है । बस इसी बात को अपने जेहन में रखकर हम उनकी तरफ झुकते चले गए । उन्हीं को लेकर सपनें संजोने लगे ।
                     और अब जाकर उन्होंने कहा कि, उन्हें हमारे प्रति कोई विशेष फीलिंग्स नहीं है ।

Wednesday, January 23, 2019

मतलब


तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में लिखा है कि,

सुर,नर, मुनि  सबकी यह रीती,
स्वारथ लागि  करहि सब प्रीती ।

जब भी आपसे किसी का कोई स्वार्थ सधता होगा तब सब आपके पास आयेगे । जब तक आप दूसरों के लिए उपयोगी हो तब तक आप लोगों से घिरे रहोगे, जैसे ही आप निरुपयोगी साबित होने लगेंगे, धीरे-धीरे सब आपका साथ छोड़ने लगेंगे । यह आज के युग में बहुधा दिखाई दे रहा है ।
 हमें इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए । कवि कहता है कि यह "मतलब " भी बडे़ "मतलब" की चीज है, मतलब निकल जाने पर लोग अपनों को भी नहीं पहचानते ।

Thursday, January 17, 2019

हकीकत और ख्वाब



हम सपनें तो बहुत देखते हैं, पर सारे सपनें हमारे सच नहीं हुआ करते । इसमें निराश होने की कोई बात नहीं । हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए ।

Monday, January 14, 2019

आँसुओं की वजह



अपनों से मिला दुखः व्यक्त करना सबके बस की बात नहीं। मनुष्य हमेशा अपनों के बीच घिरा रहना पसंद करता है।
अपनों से सम्मान की चाहत हर किसी को रहती है । नाते-रिश्तों और  मोह के पाश में बंधा हुआ मनुष्य अपनी थोड़ी सी भी अवहेलना सह नहीं पाता। अपनों से मिली छोटी सी भी चोट उसके लिए नासूर बन जाती है।
यहाँ पर भी कवी अपना दुखः प्रकट करते हुए कह रहा है कि उसके दुखः की वजह, उसकी आँखों में आए हुए आँसुओं के कारणीभूत भी उसके अपने ही लोग हैं जो कभी कहा करते थे कि, "तुम रोते हुए अच्छे नहीं लगते " ।

किसी के आँसू पोछें


Sunday, January 6, 2019

बस ,, संग तुम रहो



यह जरूरी नहीं कि हर रिश्ते स्वार्थ की नींव पर ही खड़े हों।
कुछ रिश्ते बेनाम, अनमोल, अनकहे, अव्यक्त और निस्वार्थ भी हुआ करते हैं।
कवी कह रहा है कि, " हम और तुम दोनो अबोल हैं,  अगर तुम कुछ कहो तो मैं भी कुछ कह सकूँगा।
कवी कहता है कि,  मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए,  मेरी कोई ख्वाहिश नहीं है, बस ! तुम साथ भी रहते हो तो बहुत अच्छा लगता है ।"

Friday, January 4, 2019

अपनों ने ही


आदमी अपनों से ही हारता है । परायों से ज्यादा उसे अपनों से ज्यादा चिंता रहती है। कहतें हैं न, कि दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम कर दिया ।
हम अपनों को अपना समझकर उनसे अपनी भावनाएँ, अपने मन की बात कह देते हैं , और उनमें से कुछ ऐसे होते है कि जो समय आने पर आपकी कमजोरियाँ दूसरों के सामने उजागर करने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते ।

Sunday, December 30, 2018

इन्सान का बच्चा



न वो हिन्दू का है
न मुसलमान का बच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।

         मजहब नहीं जानता
         जेहाद नहीं जानता,
         दंगा नहीं जानता
          फसाद नहीं जानता ।

कुछ भी कहे कोई
पर प्यार उसका सच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।

           राम नहीं जानता
           रहमान नहीं जानता,
           रामायण नहीं जानता
           कुरान नहीं जानता ।

तुम भी उसे पुचकारो
प्यार उसका सच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।

         अल्लाह नहीं जानता
          भगवान नहीं जानता,
           इबादत नहीं जानता
           पुराण नहीं जानता ।

हो किसी का भी वो
पर दीदार उसका अच्छा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।

         कूटनीति से अनभिज्ञ है
         राजनीति नहीं जानता,
         दाँव-पेंच नहीं मालूम
         शिष्टाचार भी नहीं जानता ।

जैसे ढा़लोगे वैसा ढ़लेगा
मिट्टी का घडा़ अभी कच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।

        छल-कपट नहीं जाने वो
        राग-द्वेष नहीं जानता,
        मातृभूमि नहीं जानता
        परदेश नहीं जानता ।

नफरत न सिखाना उसे
ह्रदयपटल शुभ्र-सच्चा है,
उसकी पहचान इतनी
कि वो इंसान का बच्चा है ।

        उसकी पहचान इतनी
         कि वो इंसान का बच्चा है ।

           CHILDS   ARE  INNOCENT.

                                                     Kash....

Tuesday, December 11, 2018


सिर्फ स्वयं के बारे में सोचना, स्वयं ही भोजन कर लेना, यह प्रकृती है। अपने साथ-साथ दूसरों के भी बारे में सोचना और स्वयं खाना और दूसरों को भी भोजन कराना, यह संस्कृती है ।
दूसरों का विचार न करते हुए , दूसरों का हिस्सा भी छीनकर खाना, यह विकृती है ।
हमें अपने साथ-साथ , समाज, देश और सारी मानव जाति के कल्याण के बारे में भी सोचना चाहिए और तन-मन-धन से अपनी तरफ से भी कुछ योगदान करना चाहिए ।
कवि ईश्वर से यह प्रार्थना कर रहा है कि ,हे प्रभु सबको खुशियाँ दे । वह दूसरों के दु:खों के प्रति भी संवेदनशील है और यह भी कहता है कि, भगवन् चाहो तो मेरे हिस्से की खुशियाँ कुछ कम कर दो पर जो लोग दीन-दु:खी हैं उनकी भी झोलियाँ खुशियों से भर दो ।



Just thinking about yourself, having food yourself, this is a common view. 
It is a culture, thinking about yourself and others as well as eating food yourself and to serve others also.

Without taking into consideration others, it is maladaptive to take away the share of others.

We should also think about the welfare of our society, our nation and all mankind, and should also contribute something from our side with our mind and wealth.

The poet is praying to God that, O Lord, give happiness to all. He is also sensitive to the sorrows of others and also says that, if God wants to reduce the happiness of my part, do that but  those who are afflicted, fill their life with happiness.

Tuesday, December 4, 2018


जो कामयाब हो जाते हैं दुनिया उन्हें ही सिर-आँखो पर बिठाती है, उनका अनुकरण करती है, उनकी वाह-वाही करती है। कल तक जो लोग उन्हें पहचानते तक नहीं थे ,वही लोग आज उनसे रिश्ते जोड़ने की कोशिश किया करते हैं और उनकी तारीफों के पुल बाँधने में कोई कसर नहीं छोड़ते । जो लोग उनका मनोबल तोड़ने में लगे रहते थे, आज वही उनका स्वागत करने में सबसे आगे आ जाते है ।

और वही शख्स यदि नाकाम हो जाय तो........
उसे अर्श से फर्श पर आने में देर नहीं लगती, सब कुछ बडी़ जल्दी से बदल जाता है। नाकामियों के चर्चे बडी़ तेजी से फैलते हैं। जिनकी हर तरफ चर्चा हुआ करती थी वही लोग गुमनामी में अंधेरों में गुम से हो जाते है ।
Those who succeed, the world places them on their heads, imitates them, they do their voices. By the time people who did not even recognize them till yesterday, those people try to connect with them today and they do not leave any stone unturned in their compliments. Those who used to break their morale, today they come forward to welcome him.


And if the same person fails then ... ..

It does not look too late to come on the floor, everything changes quickly. Discussions of failures spread rapidly. The same people who used to be discussed in all directions are lost in darkness in the oblivion.